क्या आपने कभी ऑनलाइन कुछ भी ऑर्डर किया है, भोजन, राशन, कपड़े, सब्जियां, या कोई अन्य वस्तु, यदि हाँ, तो आप ई-कॉमर्स ऐप, फूड डिलीवरी ऐप और ग्रॉसरी डिलीवरी ऐप की अवधारणा से परिचित होंगे।चीजों को ऑर्डर करने के लिए आपके मोबाइल फोन में आपका पसंदीदा ऐप भी इंस्टॉल हो गा , लेकिन अगर मैं कहूं एक ऐसा नेटवर्क है जहां आप इन एप्लिकेशन से काफी सस्ते में सामान ऑर्डर कर सकते हैं।
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दोस्तों मैं जिस नेटवर्क की बात कर रहा हूं उसका नाम ओएनडीसी यानी Open Network for Digital Commerce, है, भारत सरकार ने इस नेटवर्क की शुरुआत की है, इस नेटवर्क पर आपको खाना, किराना का सामान सब कुछ मिल सकता है, हालांकि यह नेटवर्क 1 साल पहले शुरू हुआ था।
लेकिन इन दिनों Open Network for Digital Commerce के चर्चा में रहने की वजह इसकी शानदार खूबियां है एप्लिकेशन की विशेषताएं इतनी जबरदस्त हैं कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह ई-कॉमर्स बाजार में क्रांति ला सकता है

Open Network for Digital Commerce क्या है?
दोस्तों बहुत से लोग सोचते हैं कि यह ONDC Amazon और Flipkart की तरह एक ई-कॉमर्स वेबसाइट है, जो भविष्य में Amazon और Flipkart जैसी बड़ी कंपनियों को सीधे टक्कर देगी, लेकिन सच्चाई कुछ और है, असल में ONDC एक तरह की तकनीक है या कोई ऐसा ऑनलाइन सिस्टम है जिससे भारत में छोटे दुकानदार अपना सामान ऑनलाइन बेच सकेंगे। फ्लिपकार्ट ऐमजॉन जैसी बड़ी कंपनियों का एकाधिकार खत्म हो जाएगा।
दोस्तों, आपको पता ही होगा कि मौजूदा ई-कॉमर्स सिस्टम में किसी भी डील को फाइनल होने के लिए खरीदार और विक्रेता दोनों को एक प्लेटफॉर्म पर आना होता है।जैसे Amazon और Flipkart दोनों को चुनना है लेकिन ONDC की बात करें तो यह आज के e-commerce सिस्टम से आगे है क्योंकि यह आपके लिए Amazon Flipkart जैसे कई प्लेटफॉर्म को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाएगा
आने वाले समय में ओएनडीसी पर होटल ट्रेवल और ऑनलाइन जैसी सेवाएं भी मौजूद होंगी साथ ही डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क का अपना रेटिंग सिस्टम भी होगा, जहां उत्पाद विक्रेता, ग्राहक और डिलीवरी पार्टनर को भी उनकी सेवाओं के हिसाब से रेटिंग दी जाएगी।
Open Network for Digital Commerce की आवश्यकता क्यों है
भारत में ONDC की जरूरत क्यों पड़ रही है भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में रोज नए-नए स्टार्टअप आ रहे हैं, फिर सरकार को इन सबके बीच में कूदने की जरूरत क्यों पड़ी, तो दोस्तों कारण यह है कि भारत के मौजूदा ई-कॉमर्स हैं company व्यवस्था में ऐसी अनेक कमियाँ हैं फ्लिपकार्ट और अमेजॉन जैसी विदेशी कंपनियों को फायदा हो रहा है लेकिन हमारे देश के छोटे कारोबारियों और भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हो रहा है।
अब भारतीय Open Network for Digital Commerce की वे कमियाँ क्या हैं और हम उन्हें Open Network for Digital Commerce की मदद से कैसे दूर कर सकते हैं? आइए विस्तार से समझ सकते हैं।
E-commerce Model
दोस्तों भारतीय ई-कॉमर्स सिस्टम के अंदर सबसे बड़ी कमी इसका इन्वेंट्री मॉडल है, दरअसल भारत के अंदर ई-कॉमर्स कंपनी मुख्य रूप से दो मॉडल पर काम करती है, पहला marketplace model और दूसरा inventory model।
Marketplace Model:-मार्केटप्लेस मॉडल के भीतर, व्यक्तिगत स्वतंत्र विक्रेता हैं जो किसी भी वाणिज्य मंच का उपयोग करके संभावित ग्राहकों को सीधे अपने उत्पाद बेच सकते हैं, अन्य वाणिज्य कंपनी केवल एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है, जो खरीदार और विक्रेता को जोड़ती है।
Inventory Model:-जबकि इन्वेंट्री मॉडल में ई-कॉमर्स कंपनी पहले निर्माताओं से उत्पाद खरीदती है और सीधे ग्राहक को बेचती है, जिसका मतलब है कि उनके बीच कोई आगे-पीछे नहीं होता है।
मार्केटप्लेस मॉडल में कंपनी को एक प्रोडक्ट पर सिर्फ कमीशन मिलता है इन्वेंटरी मॉडल मैं सारा प्रॉफिट कंपनी का होता है क्योंकि उनके बीच कोई सेलर नहीं होता है
दोस्तों इसकी वजह से उस प्लेटफार्म पर मौजूद दूसरे से सेलर नुकसान में जाते हैं क्योंकि वह ना तो कंपनी के रेट पर प्रोडक्ट को सेल्ल कर पाते हैं और ना ही प्लेटफार्म के algorithm उनके प्रोडक्ट को स्टॉप पेज पर नहीं दिख पाती है।
ऐसे में इस समस्या को हल करने के लिए सरकार एक नियम भी लाई है जिसके मुताबिक कोई भी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनी भारत में इनवेंटरी मॉडल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है लेकिन यह विदेशी कंपनी किसी तरह दूसरा रास्ता निकालती है यह एक बड़ा कारण है, जिसने सरकार को मजबूर किया कि वह ओएनडीसी लाए, जहां , अब इन विदेशी कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी।
ऑनलाइन बिक्री के नुकसान
दोस्तों ऑनलाइन सेलिंग का दूसरा सबसे बड़ा नुकसान है कम लाभ, देखा जाए तो किसी भी सेलर के पास मुख्य रूप से ऑनलाइन जाने के दो तरीके होते हैं, पहला अपनी खुद की वेबसाइट बनाना और अपना उत्पाद सेल करना ,जिसमें से बहुत पैसा खर्च होता है।
या वह अपने उत्पाद को Amazon Snapdeal प्लेटफॉर्म जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पर बेच सकता है जहां उसे अपने लाभ को ई-कॉमर्स कंपनी के साथ साझा करना होता है यानी दो तरह से उसके कुल लाभ का कुछ हिस्सा खर्च हो जाता है ऐसे में सरकार ने ओएनडीसी को सभी के लिए फ्री रखा है।
यानी UPI की तरह ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स सेलर को भी किसी तरह का चार्ज नहीं देना होगा। इसके अलावा ई-कॉमर्स सिस्टम की तीसरी सबसे बड़ी कमी यह है कि कंपनी अपना उत्पाद स्थानीय स्तर पर लॉन्च करना पड़ता है।
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि सभी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए अलग-अलग कैटेगरी में अपने-अपने प्रोडक्ट बेच रही हैं क्योंकि इन कंपनियों के पास यह डेटा होता है कि कौन सी कैटेगरी में कौन सा प्रोडक्ट किस कीमत पर सबसे ज्यादा बिकता है।
दोस्तों इस डेटा की मदद से ये कंपनी इन प्रोडक्ट्स को खुद ही मैन्युफैक्चर करना शुरू कर देती है और नए ब्रैंड नेम के साथ प्रोडक्ट को अपने प्लेटफॉर्म पर लॉन्च कर देती है, क्योंकि प्रोडक्ट की रैंकिंग पूरी तरह से उन्हीं के हाथ होती है
अब क्योंकि प्रोडक्ट की रैंकिंग पूरी तरह से उन्हीं के हाथ में होती है, ऐसे में वे हमेशा आपके प्रोडक्ट को टॉप पेज पर दिखाते हैं, जिससे प्रोडक्ट की बिक्री अपने आप बढ़ जाती है दोस्तों ये बात भारत के लिए बहुत खतरनाक है
Open Network for Digital Commerce के फायदे
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का ई-कॉमर्स मार्केट जो 2021 में 38 अरब डॉलर का था वो 2026 तक 140 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। जानकारों का मानना है कि साल 2030 तक भारत की दुनिया की आबादी ऑनलाइन शॉपिंग को अपना चुकी होगी, ऐसे में अगर ये विदेशी कंपनियां भारत से पैसा कमाकर अपने देशों में ले जाती हैं, तो यह आने वाले समय में भारत के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है भविष्य में।
ONDC को भारत में लॉन्च किया गया है जिसमें दिल्ली एनसीआर बेंगलुरु भोपाल आदि शहर शामिल हैं और इसके आधार पर ONDC को और बढ़ावा दिया जाएगा दोस्तों ONDC न केवल ग्राहकों के लिए बल्कि विक्रेताओं और डिलीवरी बॉय के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होगा
ऑर्डर के लिए UPI का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे सेलर को पेमेंट रिसीव करने मैं कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होगा दोस्तों सेलर्स के अलावा ग्राहक को यह फायदा होगा की,एक तो उन्हें ऑनलाइन शॉपिंग के लिए किसी एप्लीकेशन के साथ बंधना नहीं पड़ेगा साथ ही कुछ सेलर्स नजदीक होने की वजह से आपके प्रोडक्ट की डिलीवरी काफी तेज हो जाएगी।
इसके अलावा, ग्राहक के पास कई विकल्प होंगे जहां वह सभी विक्रेताओं की कीमतों की तुलना करके सस्ते दामों पर उत्पाद खरीद सकेगा।
ONDC और UPi मैं अंतर
दोस्तों जब से ONDC लॉन्च हुआ है तब से इसकी तुलना UPI से की जा रही है और इसका कारण यह है कि जिस तरह से UPI एक ओपन-सोर्स पेमेंट सिस्टम है, यानी फोन पर, Google पर, या Amazon पर, यानी कोई भी एप्लिकेशन ऑफर कर सकता है। यूपीआई प्लेटफॉर्म को इसी तरह ओएनडीसी एक ओपन सोर्स नेटवर्क है जिसमें कोई भी विक्रेता अपने उत्पाद को बेचने के लिए अपने प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर सकता है।
विशेषज्ञ की राय
दोस्तों कई लोगों का कहना है कि जिस मकसद के लिए ONDC बनाया गया है उसे हासिल करना नामुमकिन है क्योंकि अलग-अलग कंपनियों की अपनी अलग तकनीक होती है जिसका इस्तेमाल वो अपने प्लेटफॉर्म पर करती हैं।
आपको याद होगा जब UPI लॉन्च हुआ था तब भी लोगों ने यही बात कही थी, लेकिन आज UPI भारत का सबसे बड़ा पेमेंट सिस्टम है भारत में इसकी सफलता को देखकर दूसरे देश भी इस पेमेंट सिस्टम को अपनाने रहे हैं।
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आपने क्या सीखा–Open Network for Digital Commerce
हमने आपको Open Network for Digital Commerce क्या है इससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी देने की कोशिश की है, हमारी कोशिश रहती है कि पाठक को किसी भी विषय पर पूरी जानकारी दी जाए
यदि इस पोस्ट से संबंधित कोई दिक्कत है तो हमे कमेंट बॉक्स में जरूर करें और इस पोस्ट को उन लोगों के साथ शेयर करें जो ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं या ई-कॉमर्स में रुचि रखते हैं।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स क्या है ?
ओएनडीसी एक तरह की तकनीक या ऑनलाइन सिस्टम है, जिसके जरिए भारत में छोटे दुकानदार अपना सामान ऑनलाइन बेच सकेंगे।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के लाभ
Open Network for Digital Commerce आने के बाद ग्राहक के पास कई विकल्प होंगे जहां वह सभी विक्रेताओं की कीमतों की तुलना करके सस्ते दामों पर उत्पाद खरीद सकेगा।

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